Saturday, 24 February 2018

पेनकिलर और एंटीबायोटिक्स का मानव स्वास्थ्य पे असर

वैसे तो पेनकिलर और एंटीबायोटिक्स रोगी के दर्द व परेशानियों को कम करने के लिए बने गई थी. लेकिन आज बहुत से डॉक्टरस के द्वारा इसे रोगी को ज्यादा मात्रा में देने के कारण उसका दर्द कुछ देर के लिए ठीक  तो होता है लेकिन उसके साइड इफेक्ट्स होते है. जेसे- पेनकिलर के  रूप में डिक्लोफेनिक सोडियम का अत्यदिक प्रयोग करने से लीवर सिरोसिस तथा किडनी फेलियर के पेशेंट बढते  जा रहे है,तथा अनावश्यक एंटीबायोटिक्स के इस्तमाल से intestine  में नेचुरल गुठफलोरा[लाभ दायक जिव्वाणु] खतम हो जाते है जिस से शरीर की इम्युनिटी को भी हानि होती है! 
                                 

योग और आयुर्वेद पूरे विश्व के लिए उपयोगी है


बुरे भोजन और जीवन शैली के कारण, आज हर व्यक्ति ने मानसिक और शारीरिक समस्याओं पर एक अलग नज़र आता है। केवल थोड़े समय के लिए रोग को दबाकर स्वास्थ्य समस्या को दबाया जा रहा है और दर्द निवारक के दुष्प्रभावों के विरोधी जैविक पदार्थों और कई प्रकार के कैनबिस को फैलाना! पूरी दुनिया अब हमारे औद्योगिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में वापस आ रही है ताकि एक स्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ हो और यदि वह बीमार हो जाए तो वह हमेशा के लिए स्थायी स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं!

                                              इसलिए, दुनिया भर के वैज्ञानिकों और दवा कंपनियों को आयुर्वेदिक अनुशासन को अपनाना चाहिए

हेपेटाइटिस बी? स्थाई समादान आयुर्वेद

इकीसवी सदी में अनेक प्रकार के विशाणुओ के प्रसार से अनेक प्रकार के गंभीर असाध्य अवं जानलेवा रोग उत्पन हो रहे है! यह सभी विषाणु प्राय हमारी शरीर  की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को हानी पहुचाकर रोगों की उत्पति करते है !
                           अतः हमें हजारो वर्षो से प्रमाणित आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के वैज्ञानिक शोध का प्रचार प्रसार केर मानवीय स्वास्थ्य की संरक्षा में अपना योगदान देना चाहिए!
                                                                       धन्यवाद!        

Monday, 19 February 2018

अहिंसा जीवनीय शक्ति बढाने में श्रेष्ट !

अहिंसा मानव का स्वाभाविक धर्म है ! सभी सुखी रहे , सभी निरोगी रहे ,सभी का कल्याण हो ,हम सभी को कोई दुःख नहीं हो ! सनातन  धर्म के जन्कल्यानकारी मार्ग से भटकर आज सारे विश्व के जनसमुदाय एक दुसरे की हिंसा करने को ही अपना धर्म समझ रहे है ! आज इन्ही हिंसावादी विचारो से मिलावटखोर खानपान की वस्तुओ में मिलावट कर रहे है !आकाश ,वायु जल पृथ्वी अग्नि  रूपी पञ्च देवो को दूषित कर रहे है ! इन कारणों  से  रोगों की गंभीरता बढती जा रही ! चिकित्सा जो धर्म था वह अब यवसाय का रूप ले चूका है !अतः बुद्धिजीवी समाज को वसुदेव कुटुम्बकम की भावना वाले सनातनधर्म को मानवीय धर्म के रूप में स्विव्कार करके विश्व जन को सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करना चाहिये !                                                                                                                                                         


                                                               जय आयुर्वेद !

स्वस्थ चिंतन राष्ट्रीय मंथन

आज हमें और हमारे राष्ट्र के नेतृतव को स्वस्थ मानसिकता से राष्ट्र चिंतन करने की आवश्यकता है ! एक और हम आयर्वेद रूपी सम्पूर्ण जीवन विज्ञानं को २% तक सिमित कर हतौत्साहित कर जन भावनाओ की उपेक्षा कर रहे है ! वही दूसरी तरफ हमारे देश के धन को बेंकिंग गोटालो के माध्यम से लाखो करोड़ो रूपये लुटा रहे  है ! स्वदेशी बौद्धिक सम्पदा से वंचित कर देश के किसान ,युवा ,बौद्धिक समाज को  कमजोर और भयग्रस्त कर दिया गया है ! भारत की जनता को बीमारियों के मकडजाल में फंसा दिया है ! मुफ्त की दवाओ से जनता हमेशा बीमार है ! hipatitis कैंसर इत्यादि गंभीर रोग होना आम बात है ! दवा कम्पनिया मालामाल है ! देश बेहाल !                                                   अब समय आ गया है ! राष्ट्र के लिय चिंतन- मनन स्वस्थ मानसिकता से करे ! अन्यथा फिर पछतावत क्या होत है जब चिडया चुग गयी खेत !    जय हिन्द !

Saturday, 17 February 2018

सांक्रमाल कामालिका पर हेपा -6 घटक के क्रियान्वयन के मोड [विरल हिपेटिटिस-बी रोग


 हेपा -6 कंपोनेट पीएचडी रिसर्च पर आधारित एक नया आयुर्वेदिक ओषधि है! हेपेटाइटिस बी वायरस जिसे आयुर्वेद में संक्रमित कमला [स्वतंत्र] रोग निवारण के लिए PHARMACOLOGICAL अध्ययन के लिए अनुक्रिया योग के आधार पर चिकित्सा प्रयोगात्मक दृष्टि से प्रमाणित पाया गया है!

हेपा -6 घटक आईईई हाइपरेट्रोवरेटिव, एंटी-वायलल, नेटियल इंटरफेरॉन, डायरूटिक, एंटी-ऑक्सीन, एंटी-हिपेटो टॉक्सिक गतिविधि, हेपेटो-कॉर्रक्टिव एक्शन, एंटी इन्फ्लैमेसन एक्शन और हेपा -6 घटक मिटोकोन्ड्राइआ, माइक्रोसॉम्स, लियोसोसोमल लैटनी और एलआईपीआईडी ​​परिवर्तन, न्यूक्लिक एसिड और एलआईपीआईडी ​​पेरोक्साइड के कुल स्तर में, क्लासिक सर्म पैरामीटर [जैसे सीरम बालिब्रिबिन, एसजीओटी, एसजीपीटी और फॉस्फेटैस] ने यकृत रोगों के निदान के लिए चिकित्सकीय इस्तेमाल किया भी प्रभावित हैं। कार्रवाई की संभावित विधि यकृत कोशिकाओं की आम सेलुलर चयापचय साइट पर कार्रवाई हो सकती है।

एंटी-ट्युब्युलर एजेंट और एंटी-विषाक्तता कार्रवाई भी अध्ययन में मिली।

                     Choleretic प्रभाव व्यक्त, phagocytosis और वें, टी 4 लिम्फोसाइटों में सुधार लीवर सेल की क्षति को एलएफटी के अनुसार सामान्य रूप से रोकता है, हेपेटाइटिस बी सतह एंटीजन की अभिव्यक्ति को अवरुद्ध ऊतकों में फैटी इन्फ्लैमेशन को कम करते हैं, फैली हुई रक्त वाहिकाओं ने सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाया, गुर्दा की सामान्य प्रक्रिया और नैदानिक ​​लक्षणों में सुधार किया।        
                                
                             
हेफ़ा -6 घटक द्वारा लवण लक्षण    
                   

   

फ्लू की तरह लक्षण - चिकीत्साटिक लक्षण                                                                                                   -DEPRESSION
        -HEADACHE                                                                   -MOOD LABILITY
        -FATIGUE OR ASTHENIA                                           -AUTOIMMUNITY DISODER
        -MYALGIA,ARTHRALGIA                                          -LAB ALTERATIONS
        -FEVER,CHILLS                                                            -NEUTROPENIA
        -NAUSEA                                                                          -ANEMIA
        -ALOPECIA                                                                    -THROMBOCYTOPENIA
        -THIROIDITIS
    
       
        
हेपा -6 एसीट हेपेटिटिस बी, क्रोनिक हिपेटिटिस बी, जौंडिस, क्रोनिक हिपिटिटिस और लिवर रोग के सभी प्रकार के लिए सबसे प्रभावकारी हर्बल घटक है जैसे कि,
                             
1. फैटी लीवर       2. लिपिड मेटाबोलिक नियामक       3.gall पत्थर       4.अर्यूनिक ट्रैक्ट कैलकुस       5.precirrhotic और सिरोहोटिक लक्षण       6. विलसन सिंड्रोम       7.all प्रकार वायरल और क्रोनिक बुखार
8.harpies zoster              9.ओटो इम्यूनो बीमारी      10. हेपाटेमेगाली स्लेप्नोमेगाली      11.pancreatitis दवा से प्रेरित जिगर सेल डिएग्रेशन      12.cytotoxicity       13.diabetes                                           


विश्व स्वास्थ्य संघटन [W.H.O] द्वारा सन २००० तक सम्पूर्ण स्वास्थ्य एलोपैथिक पद्धति के माध्यम से देने की योजना बनाई  गई थी, परन्तु आज विश्व क सभी देश गंभीर स्वास्थ्य सम्सियाओ से परेशान है!
विश्व जन समुदाय आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान की ओर आकर्षित है, हजारो वेर्षो से प्रमाणित यह चिकित्सा विज्ञान पूरी दुनिया को सम्पूर्ण  स्वास्थ्य  लाभ देने में  समर्थ है, परन्तु दुर्भाग्य से भारत सरकार इस हिन्दू महर्षियों की बोधिक सम्पदा के द्वारा विश्व का कल्याण नहीं करना चाहती यह चिंतनीय विषय भी है!
                                               
                                                        जी हा में  आपको बताना चाहता हूँ हेपेटाइटिस बी रोग की चिकित्सा के मामले में! आज वायरल हेपेटाइटिस ऐ बी सी डी इ तथा अल्कोहलिक हेपेटाइटिस एवम रासायनिक ड्रग्स से होने वाले हेपेटाइटिस रोग से सम्पूर्ण विश्व की लगभग १० प्रतिसत आबादी ग्रसित है! W.H.O द्वारा जानलेवा   रोगों में हेपेटाइटिस बी का प्रसार एड्स से भी १०० गुना अधिक माना गया है१ आज ही मुझे राजश्थान पत्रिका कोटा से जानकारी मिली की कोटा सिटी के प्रेम नगर कॉलोनी में १२ लोगो ने ब्लड बैंक में ब्लड डोनेशन किया तो पता लगा की उन सभी को हेपेटाइटिस पॉजिटिव पाया गया!
                                                       आपको इस ब्लॉग के  माध्यम से बता देना चाहता हूँ की कमो-बेस यह ही दसा हमारे पुरे देश के स्वास्थ्य की है! रोजाना ऐसे ही हेपेटाइटिस बी के रोगियों के दुःख भरे फ़ोन आते है! जिनसे ज्ञात होता है कि हेपेटाइटिस बी के इलाज के नाम पर डॉक्टर वेसे तो नो एनी ट्रीटमेंट कहते है!
                                                       इसके बाद डॉक्टर पेशेंट को वायरल लोड करवाने हेतु  HBV DNA PCR   QUANTITATIVE TEST करवाने का परामर्श देते है जो की एक गरीब रोगी के लिए बहुत ही महंगी जाच है!
हजारो रुपयों  की जाच उपरांत दवा के  नाम पर INTERFERON[IFN] श्रेणी की दवाइया रोगियों को दी जा रही है इन IFN दवाओ से रोगी की सहज प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है कुछ समय के  लिए वायरल लोड कम तो होता है परन्तु इन दवाओ के HEPATOPROTECTIVE EFFECT नहीं होने के कारण से लीवर को हानि होती रहती है तथा  INTERFERON के निरंतर प्रयोग उपरांत गंभीर साइड इफ़ेक्ट देखने को मिल रहे है! 
जिनसे रोगियों एवं उनके परिजन को जागरूक तथा सावधान करदेना अपने देश के  प्रति कर्तव्य समजता हूँ !

SIDE EFFECT OF INTERFERON[IFN] 
                                           
                      
     FLU LIKE SYMPTOMS                                              -PSYCHIATRIC SYMPTOMS
                                                                                                   -DEPRESSION
        -HEADACHE                                                                   -MOOD LABILITY
        -FATIGUE OR ASTHENIA                                           -AUTOIMMUNITY DISODER
        -MYALGIA,ARTHRALGIA                                          -LAB ALTERATIONS
        -FEVER,CHILLS                                                            -NEUTROPENIA
        -NAUSEA                                                                          -ANEMIA
        -ALOPECIA                                                                    -THROMBOCYTOPENIA
        -THIROIDITIS
                                                                                             HEPATIC  ENCEPHALOPATHY
              

     [इन्टरनेट से साभार संकलित] 




    अगले ब्लॉग में हम आपको हेपा-6 COMPONENT के PHARMACOLOGICAL EFFECTS OR MODE OF ACTION के बारे में जानकारी उपलब्द करवाएंगे!

                                                                                                            
                                                                                            वन्दे मातरम 
WHO (वर्ल्ड हेल्थ ओर्गनाइजेशन ) का कहना हैं आज हमारे शरीर की जरुरत है शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, शुद्ध भोजन और 60 से 80 मिनरल्स, 40 के 46 पोषक तत्व और एन्जाइम्स l जो आज हमें पूर्ण रूप से नहीं मिल पा रहे हैं । 
क्या आप जानते हैं कि हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में हमारे शरीर में कोशिकायें (Cells) व मज्जातंतु (Tissues) क्षतिग्रस्त होते रहते है और अधिकतर देखा गया है कि हम अपने भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा शरीर की जरूरत के मुताबिक नहीं ले पाते हैं l आज के इस प्रदूषित वातावरण तथा भागदौड़ भरी जिन्दगी में मधूमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया, दिल का दौरा बहुत ही आम समस्या है l जो हमारे जीवन शैली को भी प्रभावित करती है l रासायनिक खाद और छिड़काव के द्वारा अनाज की पैदावार और इन्जेक्शन के द्वारा दूध, फलों और सब्जियों की पैदावार को बढ़ाना यह सब हमारे शरीर के लिये बहुत हानिकारक है l और जो हमारी प्रतिरोधक क्षमता, आन्तरिक बल और एनर्जी लेवल को दिन प्रति दिन कम करती जा रही है l जिससे संक्रमण होने की सम्भावनायें बढ़ जाती हैंl जैसे वायरल फीवर, सर्दी व जुकाम, बुखार, कमजोरी थकान, काम के प्रति रूचि न होना इत्यादि l हमने देखा की अधिकांश समस्यायें विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) से उत्पन्न होती हैं और यह विषाक्त पदार्थ प्रदूषित जल, वायु और भोजन के परिणाम हैं ।
इनसे होने वाली गंभीर समस्याए..
1- शुगर (मधुमेह)
2- ब्ल  ड प्रेशर (B.P.)
3- हृदय रोग
4- कोलेस्ट्रॉल
5- कैंसर
6- दमा
7- लकवा ( paralysis )
8- स्वाइन फ्लू
9- थाइरोइड
10- माइग्रेन
11- थकान
12- आर्थराइटिस
13- गठिया
14-जोड़ों का दर्द
15- कमर में दर्द
16- बदन दर्द
17- सेक्सुअल समस्या
18- मोटापा
19- त्वचा / चर्म रोग
20- सोराइसिस
21-लूकोडर्मा
23-  बवासीर
24- एसिडिटी
25- श्वसन संबंधी समस्या
26- पाचन सम्बंधित रोग
27- एंटी एजिंग
28- लीवर से जुडी कोई भी परेशानी
29-  अनिद्रा
30-  अनीमिया (खून की कमी)
31- मानसीक तनाव
32- खांसी 
33- साईनस
34- पेट में गैस बनना
35- पैर के तलवे मे जलन
36-  आखों से संबंधित रोग
37-  श्वेत प्रदर 
38- मlसिक धर्म (M.C.) अनियमितता
इत्यादि!
आप के परिवार,समाज तथा मित्रो में कोई न कोई इन समस्याओ  से परेशान  होंगे और काफी समय से दवाओ के लेने से कोई फयदा नहीं हो रहा होगा!
अतः आप से निवेदन है की व्यापक समाज हित में इस स्वास्थ्य चैनल के  माध्यम से उनकी समस्याए हमतक पहुचाये ताकि सभी को आयुर्वेद के  माध्यम से सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो सके 

Friday, 2 February 2018

विश्व जन स्वास्थ्य संरक्षन हेतु आयुर्वेद अपनाइये

इश्वर ने प्राणी जगत की उत्पति के पूर्व वनश्पति ओषधीयो को उत्पन्न किया. या(ओशादिपुर्वाजाता देवेभ्यस्त्रियुग पूरा)                                            

 विश्व जन कल्याण के लिए इश्वर ने प्राणी मात्र के स्वास्थ्य संरक्सन के लिए आयुर्वेद का ज्ञान हम  पृथ्वी  वासियों को दिया.                                                                          मेरे पृथ्वी वासी प्रिय भाइयो और बहनों , हम सब के लिए सम्पुरण जीवन आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञानं को अपनाइए |                                                  विश्व में सर्व व्यापक ,सनातन ,प्राचीनतम ,हमारे पर्यावरण ,हमारे कृषि शेत्र ,हमारे वन क्षेत्र व्यवस्ता अवं जन स्वाथ्य संरक्षण में ईश्वरीय वरदान है. आयुर्वेद ये केवल हिन्दू चिकित्सा विज्ञानं ही नहीं अपितु समस्त ज्ञान विज्ञानं का आधार स्तम्ब है|                                 ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।

सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥